उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि छह माह के भीतर जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद और उसके पारिस्थितिकी तंत्र का पूरी तरह से सफाया करेंगे। कहा कि हम शांति खरीदने में नहीं, बल्कि शांति स्थापित करने में विश्वास करते हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस और सुरक्षाबल इस पर काम कर रहे हैं। उपराज्यपाल ने यह बात शनिवार को श्रीनगर में उद्योगपतियों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान कही। प्रतिनिधिमंडल में पूर्व विधायक विक्रमादित्य सिंह, वाईपीओ-ग्लोबल वन के सदस्य और उद्योगपति शामिल रहे।
इससे पहले एलजी ने शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआईसीसी) में सूफी कॉन्फ्रेंस ””नूर-ए-समा”” को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आतंक के सरपरस्तों और सौदागरों को दोबारा सिर उठाने नहीं देंगे। निर्दोष लोगों का खून बहाना दहशतगर्दों का धंधा बन गया है। राष्ट्र के दुश्मनों ने आतंक का एक बड़ा पारिस्थितिकी तंत्र तैयार कर दिया है।
पिछले चार-पांच वर्षों में जम्मू-कश्मीर पुलिस, सुरक्षाबलों और प्रशासन ने लोगों के साथ मिलकर केंद्र शासित प्रदेश को उस दौर से बाहर निकालने में काफी हद तक सफलता हासिल की है, लेकिन अब भी लंबा रास्ता तय करना है। कुछ राष्ट्रविरोधी तत्व सक्रिय होने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन ऐसे किसी भी व्यक्ति को उभरने नहीं दिया जाएगा। मुझे खुशी है कि जम्मू-कश्मीर के युवाओं ने सरकार की योजनाओं को समझना शुरू कर दिया है।
सूफी विद्वानों से अपील- राष्ट्रविरोधियों के लिए समाज में कोई जगह न हो
एलजी ने सूफी विद्वानों से अपील की कि वे सुनिश्चित करें कि राष्ट्रविरोधियों के लिए समाज में कोई जगह न हो। युवाओं के बीच सूफीवाद को लोकप्रिय बनाने के लिए दीर्घकालिक योजना बनाने की जरूरत है, ताकि लोगों के बीच चरमपंथी विचारधारा को पनपने का मौका न मिले। अगर ऐसा करने के लिए सूफीवाद के आदर्शों को आधुनिक बनाने की जरूरत है, तो इसके लिए काम करना जरूरी है।
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हमें इसे (सूफीवाद के संदेश को) नए माध्यमों से युवाओं तक ले जाना होगा। सिन्हा ने सूफी विद्वानों, सेव यूथ, सेव फ्यूचर फाउंडेशन और इस पहल से जुड़े सभी लोगों को बधाई दी। कहा कि सूफीवाद समाज में शांति और सद्भाव के लिए सबसे शक्तिशाली माध्यम है। सूफीवाद विभाजन को दूर करने और दिलों को करीब लाने की अंतिम कला है। इस मार्ग पर यात्रा में विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों को एकजुट करने की क्षमता है।