‘शेख हसीना पर मुकदमे और राजनीतिक सुधारों से पहले चुनाव बेमानी’, बांग्लादेश की जमात-ए-इस्लामी का ऐलान – Bangladesh Jamaat e Islami Shafiqur Rahman It is meaningless to hold elections before trial of Sheikh Hasina and political reforms ntc

बांग्लादेश की जमात-ए-इस्लामी पार्टी ने कहा कि जब तक शेख हसीना के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जाता और मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार द्वारा शुरू किए गए राजनीतिक सुधार पूरे नहीं होते, तब तक देश में कोई भी चुनाव जनता को स्वीकार नहीं होगा.
भारत की सीमा से लगे उत्तर-पश्चिम बांग्लादेश के लालमोनिरहाट ज़िले में एक जनसभा को संबोधित करते हुए जमात प्रमुख शफीकुर रहमान ने कहा कि शेख हसीना सरकार के वक्त हुई हिंसा के ज़िम्मेदार लोगों को सज़ा मिले बिना और राजनीतिक ढांचे में सुधार किए बिना बांग्लादेश में चुनाव कराना बेमानी होगा. उन्होंने कहा कि हत्यारों के खिलाफ एक्शन और राजनीतिक सुधार- ये दोनों ज़रूरी हैं. जब तक ये पूरे नहीं होते, तब तक कोई भी चुनाव जनता को स्वीकार नहीं होगा.
रहमान ने भारत के साथ भी ‘समानता, परस्पर सम्मान और अच्छे पड़ोसी संबंधों’ पर ज़ोर दिया. उन्होंने कहा कि अगर हम खुशहाल होंगे, तो हमारे पड़ोसी भी लाभान्वित होंगे, लेकिन अगर हम संकट में रहेंगे, तो भारत को सोचना चाहिए कि वह इससे कैसे अछूता रह सकता है.
जमात का यह बयान उस वक्त आया है जब बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) जो अब अंतरिम सरकार के बाहर सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत है, उसने चुनाव को लेकर नाराजगी जताई है. BNP महासचिव मिर्ज़ा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा कि वे चुनाव में देरी से संतुष्ट नहीं हैं. उनका कहना है कि चुनाव दिसंबर 2025 से पहले ही कराए जाएं, नहीं तो राजनीतिक और आर्थिक संकट और गहराएगा.
जमात-ए-इस्लामी, जो कभी BNP की करीबी सहयोगी थी, अब अलग रुख अपनाती दिख रही है. रहमान ने कहा कि उनकी पार्टी अब ‘समर्थक’ बनाम ‘विरोधी’ और ‘अल्पसंख्यक’ बनाम ‘बहुसंख्यक’ की राजनीति को खारिज करती है. उन्होंने कहा कि जमात एक ऐसी समावेशी समाज की कल्पना करती है, जहां पुरुष और महिलाएं बराबरी से देश की तरक्की में भाग लें. अगर पार्टी सत्ता में आती है, तो महिलाओं को सम्मान, सुरक्षा और रोज़गार के अवसर दिए जाएंगे.