सीट शेयरिंग से लेकर सीएम के चेहरे तक… क्या कांग्रेस-आरजेडी की बैठक में इन मुद्दों पर बनेगी बात – Seat sharing deadlock, CM face row Can RJD Congress find common ground in meeting ntcpan

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं और इस कड़ी में गुरुवार को पटना में महागठबंधन की एक अहम बैठक होने वाली है. इस बैठक में आरजेडी और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे के फॉर्मूले पर चर्चा होगी. साथ ही मुख्यमंत्री उम्मीदवार को लेकर भी आम सहमति बनाने की कोशिश होगी, क्योंकि यह मुद्दा दोनों दलों के बीच विवाद का विषय बना हुआ है.
समझौते के मूड में नहीं कांग्रेस
महागठबंधन की बैठक से पहले आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने मंगलवार को नई दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से मुलाकात की, जहां दोनों दलों ने सतही तौर पर सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर चर्चा की और अब पटना की बैठक में माइक्रो लेवल पर सीट दर सीट को लेकर चर्चा होगी. सूत्रों के मुताबिक बिहार में 2020 के विधानसभा चुनाव में 70 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस अब किसी समझौते के मूड में नहीं है और वह बराबर या उससे ज्यादा सीटें पाने की इच्छुक है.
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साल 2020 में आरजेडी ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा था और इस बार पार्टी ज्यादा से ज्यादा सीटों पर लड़ना चाहती है, क्योंकि पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का ट्रैक रिकॉर्ड बहुत असरदार नहीं था. शायद यही एक बड़ा कारण था कि तेजस्वी यादव तब राज्य में सरकार बनाने से चूक गए थे.
पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष बदला
कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से उसे सिर्फ 19 सीटों पर जीत मिली थी और उसका स्ट्राइक रेट करीब 27 फीसदी था. कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्ण अल्लावरु सहित कई नेताओं ने आरजेडी पर दबाव बनाना जारी रखा है, जिससे यह साफ हो गया है कि कांग्रेस अब आरजेडी के पीछे नहीं रहेगी. कांग्रेस के बिहार प्रभारी का पदभार संभालने के बाद उन्होंने कहा कि कांग्रेस बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी की बी टीम बनने के बजाय ए टीम के रूप में लड़ेगी.
बिहार में पार्टी को जमीनी स्तर पर पुनर्जीवित करने के लिए कांग्रेस ने न सिर्फ अपने राज्य प्रभारी को बदला, बल्कि आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद के करीबी माने जाने वाले अखिलेश प्रसाद सिंह को हटाकर राजेश राम को पार्टी का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया. कांग्रेस में शामिल होने से पहले अखिलेश प्रसाद सिंह आरजेडी में ही थे.
प्रभाव वाली सीटों की चाह
सूत्रों के मुताबिक, तेजस्वी यादव के साथ बैठक में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने यह साफ कर दिया है कि पार्टी अब आरजेडी की ओर से दी गई सीटों पर नहीं लड़ेगी, बल्कि उन सीटों पर लड़ेगी जहां उसका मजबूत प्रभाव है और जहां जीत की संभावना ज्यादा है. पता चला है कि कांग्रेस ने संकेत दिया है कि 2020 में आरजेडी ने कांग्रेस को वो 30 सीटें लड़ने के लिए दी थीं, जहां पार्टी खुद पिछले 4-5 चुनावों में कभी नहीं जीत पाई है.
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तेजस्वी के नाम पर कब लगेगी मुहर?
जहां तक महागठबंधन के सीएम चेहरे का सवाल है, इसमें कोई शक नहीं है कि तेजस्वी यादव चुनाव में गठबंधन का नेतृत्व करेंगे और सीएम चेहरा होंगे, लेकिन कांग्रेस सीएम चेहरे के रूप में तेजस्वी के समर्थन में खुलकर सामने नहीं आकर आरजेडी पर दबाव बना रही है. कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट और बिहार के विधायक अजीत शर्मा जैसे कई शीर्ष नेताओं ने कहा है कि महागठबंधन का सीएम चेहरा चुनाव खत्म होने के बाद तय किया जाएगा.
कांग्रेस जानबूझकर मुख्यमंत्री पद के चेहरे पर सस्पेंस बनाए रखना चाह रही है ताकि आरजेडी पर दबाव बनाया जा सके, जबकि आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद कई मौकों पर कह चुके हैं कि अगर महागठबंधन चुनाव जीतता है तो तेजस्वी यादव बिहार के मुख्यमंत्री होंगे. यह साफ है कि महागठबंधन के सीएम चेहरे के रूप में तेजस्वी यादव के समर्थन में खुलकर सामने न आने का कांग्रेस का रुख सिर्फ आरजेडी पर दबाव बनाने की कोशिश है, जब तक कि उसे चुनावों में लड़ने के लिए जरूरी सीटें नहीं मिल जाती है.