नए वक्फ कानून को लेकर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हिंसा ने एक बड़ा रूप ले लिया। मजबूरन हिंसा के फैलते स्वरूप को देखते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के बाद मुर्शिदाबाद जिले में केंद्रीय बलों की तैनाती हुई। इसी बीच तृणमूल कांग्रेस के सांसद और पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान की एक इंस्टाग्राम पोस्ट पर विवाद खड़ा हो गया है। कारण है कि पठान ने दो दिन पहले एक पोस्ट में चाय पीते और आराम करते हुए कुछ तस्वीरें शेयर की थीं, जिसके बाद सोशल मीडिया पर उनकी आलोचना शुरू हो गई। साथ ही भाजपा ने भी पठान और टीएमसी पर इस पोस्ट को लेकर जमकर निशाना साधा है।
भाजपा ने भी साधा निशाना
सोशल मीडिया पर यूजर्स तो एक तरफ बंगाल में विपक्षी भाजपा ने भी यूनुस पठान के इस पोस्ट को लेकर ममता सरकार को निशाना साधा। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि बंगाल जल रहा है। हाई कोर्ट ने खुद कहा है कि वह आंखें बंद नहीं रख सकता। पूनावाला ने कहा कि सीएम ममता बनर्जी राज्य द्वारा संरक्षित हिंसा को बढ़ावा दे रही हैं, जबकि पुलिस चुप है। उन्होंने कहा कि इन सबके बीच यूसुफ पठान सांसद चाय की चुस्की लेते हैं और हिंदुओं के कत्लेआम के पल का आनंद लेते हैं। यह टीएमसी है।
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यूसुफ पठान की पोस्ट
टीएमसी सांसद पठान द्वारा सोशल मीडिया पर किए गए पोस्ट में उन्होंने लिखा था कि आरामदेह दोपहर, बढ़िया चाय और शांत माहौल। बस इस पल का लुत्फ उठा रहा हूं। इस कैप्शन के साथ जैसे ही यूसुफ पठान की तस्वीर सोशल मीडिया पर सामने आई। यूजर्स ने इस पोस्ट को लेकर पठान की आलोचना करनी शुरू कर दी। उनमें एक यूजर ने लिखा कि जब उनके जिले में हिंसा हो रही है, उस समय इस तरह की पोस्ट करना बेहद गैर-जिम्मेदाराना है। साथ ही एक यूजर ने कमेंट किया, “क्या आपको कोई शर्म है?
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पठान की लोकसभा में एंट्री
अब बात अगर यूसुफ पठान की राजनीति में एंट्री की करें तो उन्होंने पिछले साल के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी को हराकर पहली बार संसद में एंट्री की थी। हालांकि उनके बंगाल से न होकर गुजरात से आने को लेकर पहले भी सवाल उठते रहे हैं। अब इस विवाद के बाद एक बार फिर उनकी भूमिका पर बहस छिड़ गई है। फिलहाल यूसुफ पठान ने इस विवाद पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
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मुर्शिदाबाद में प्रदर्शन हुआ हिंसक
गौरतलब है कि मुर्शिदाबाद जिले के सुती, धुलिया, समसेरगंज और अन्य इलाकों में नए वक्फ कानून के विरोध में प्रदर्शन हिंसक हो गए, जिसमें अब तक तीन लोगों की जान जा चुकी है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य में बिगड़ती स्थिति को देखते हुए केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया। साथ ही कहा कि जब लोगों की सुरक्षा खतरे में हो, तब अदालत मूकदर्शक नहीं बन सकती।