नगालैंड के मोन जिले के एक नगा जनजातीय मुखिया ने केंद्र सरकार से भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ (फेंसिंग) लगाने और ‘फ्री मूवमेंट रीजीम’ (एफएमआर) क्षेत्र को कम करने के फैसले को तुरंत रद्द करने की अपील की है। टोन्येई फावांग, जो कि अंग (राजा) के 10वीं पीढ़ी के मुखिया हैं, ने कहा कि मोन जिले के दोनों ओर रहने वाले लोग कोन्याक नगा जनजाति से हैं और वे आपस में बहुत गहराई से जुड़े हुए हैं। उनके परिवार और रिश्तेदार दोनों देशों में बसे हुए हैं, और उनका रोजमर्रा का जीवन एक-दूसरे पर निर्भर करता है।
हम सीमा पर बाड़ नहीं चाहते- टोन्येई फावांग
अंग टोन्येई फावांग ने कहा, ‘हम भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ नहीं चाहते। हमारे बीच खून का रिश्ता है, न कि सीमाएं।’ उन्होंने बताया कि उनके अधीन कुल 35 गांव हैं, जिनमें से 30 गांव म्यांमार में और 5 भारत में स्थित हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि उनका खुद का घर भी भारत और म्यांमार के बीच बंटा हुआ है। उन्होंने बताया, ‘मेरा पारंपरिक घर जो सैकड़ों साल पहले बना था, 2016 में दोबारा पक्का बनाया गया, लेकिन वो घर अब आधा भारत में है और आधा म्यांमार में। मतलब, घर के एक कमरे से दूसरे कमरे में जाने पर देश बदल जाता है।’
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परिवार को अपने ही घर में पास की जरूरत होगी?
अंग फावांग ने सवाल उठाया कि अगर सीमा पर बाड़ लगा दी गई और एफएमआर को कम कर दिया गया, तो क्या उनके परिवार को अपने ही घर में आने-जाने के लिए पास बनवाना पड़ेगा? उन्होंने कहा, ‘ये बहुत ही अन्यायपूर्ण होगा’।
लोगों का जीवन एक-दूसरे से जुड़ा है- फावांग
कोन्याक नगा जनजाति के लोग सीमा पार एक-दूसरे के यहां आना-जाना करते हैं। म्यांमार की ओर के गांवों के लोग रोजमर्रा की जरूरतों के लिए भारत की ओर आते हैं। उनके बच्चों की पढ़ाई भी भारत के मोन जिले के स्कूलों में होती है, क्योंकि म्यांमार की तरफ ज़्यादा सुविधाएं नहीं हैं।
एफएमआर कम करने के बजाय बढ़ाएं- फावांग
केंद्र सरकार ने हाल ही में ‘फ्री मूवमेंट रीजीम’ (एफएमआर) क्षेत्र को 16 किलोमीटर से घटाकर 10 किलोमीटर करने का प्रस्ताव दिया है। लेकिन अंग फावांग का कहना है कि यह निर्णय ज़मीनी सच्चाई को नजरअंदाज़ करता है। उन्होंने सुझाव दिया कि एफएमआर को कम करने के बजाय बढ़ाया जाना चाहिए ताकि कोन्याक नगा लोग सीमा के दोनों ओर आसानी से आ-जा सकें।
असम राइफल्स की सराहना
अंग फावांग ने सीमा पर तैनात असम राइफल्स के जवानों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि वे न सिर्फ सुरक्षा का काम करते हैं, बल्कि गांव वालों की मदद भी करते हैं – जैसे मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं और दवाइयां देना। उन्होंने यह भी कहा कि अब तक सीमा पर दोनों तरफ के लोगों के बीच कोई विवाद या हिंसा नहीं हुई है। सभी शांतिपूर्वक रहते हैं और सदियों पुराने रिश्तों को कायम रखे हुए हैं।
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नगालैंड सरकार भी केंद्र के फैसले के खिलाफ
बता दें कि, नगालैंड सरकार भी भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने और एफएमआर को सीमित करने के फैसले के खिलाफ है। राज्य सरकार का भी मानना है कि यह फैसला स्थानीय लोगों की भावनाओं और जीवनशैली को ठेस पहुंचाएगा।
मुखिया टोन्येई फावांग का संदेश
अंग टोन्येई फावांग ने दो टूक कहा, ‘हम किसी भी हालत में सीमा पर बाड़ नहीं चाहते।’ उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि वो जमीनी हकीकत को समझे और ऐसा कोई भी निर्णय न ले जो लोगों को उनके अपनों से अलग कर दे।