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संसद के दोनों सदनों में मैराथन चर्चा के बाद यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट एंपावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट विधेयक (उम्मीद) 2024 राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून बन गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस विधेयक को शनिवार देर रात अपनी मंजूरी दे दी। इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद सरकार ने अधिसूचना के माध्यम से अधिसूचित कर दिया। इस विधेयक को लोकसभा ने 3 अप्रैल और राज्यसभा ने चार अप्रैल को पारित किया था। इस कानून में कई नए प्रावधान जोड़े गए हैं। इस कानून में कई प्रावधानों में संशोधन किया गया है। इसके तहत वक्फ बोर्ड अब किसी भी संपत्ति पर मनमाने तरीके से दावा नहीं कर सकता है। विवाद की स्थिति में अदालत में भी चुनौती दी जा सकती है और पांच साल तक इस्लाम का पालन करने वाला ही वक्फ को संपत्ति दान कर सकता है।

इसके अलावा आदिवासी बहुल राज्यों और इलाकों में जमीन सहित अन्य संपत्तियों को वक्फ संपत्ति घोषित नहीं की जा सकेगी। इसके अलावा वक्फ की ऐसी संपत्ति जो राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है, उसको बचा पाना मुश्किल होगा।

केंद्र ने इस विधेयक को पिछले साल अगस्त को लोकसभा के सामने रखा था। हालांकि, बाद में सर्वसम्मति से इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेज दिया गया। जेपीसी ने करीब छह महीने तक विधेयक पर मिले संशोधन के सुझावों पर विचार किया और 27 जनवरी को इसे फिर से संसद में पेश करने की मंजूरी दे दी। एक महीने बाद ही केंद्रीय कैबिनेट ने भी इस विधेयक पर मुहर लगा दी। इसके बाद पहले इसे लोकसभा और फिर राज्यसभा में पेश किया गया। इसके जरिए सरकार ने वक्फ कानून, 1995 में संशोधन किया है। 

इसे भी पढ़ें- लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पेश: जेपीसी ने किन बदलावों को मंजूर किया, बिल में क्या-क्या नया? जानें  

बता दें कि संसद के दोनों सदनों में बहुमत के अभाव में भाजपा को अपने सहयोगियों की कुछ मांगों को स्वीकार करना पड़ा था। जेपीसी में इसमें कई बदलाव किए गए।  इनमें विधेयक के कानून बनने की अधिसूचना जारी होने के पहले मस्जिद एवं अन्य धार्मिक स्मारकों, चिन्हों पर पूर्व की स्थिति बहाल रखने, जमीन संबंधी विवाद के निपटारे के लिए राज्य सरकार को जिला मजिस्ट्रेट के इतर अधिकारी नियुक्त करने जैसे प्रावधान शामिल हैं। आदिवासियों के हित संरक्षण के संदर्भ में सरकार ने संविधान की 5वीं और 6ठी अनुसूचि का हवाला देते हुए आदिवासी इलाकों में वक्फ संपत्ति घोषित करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसका अर्थ है कि करीब-करीब पूरा पूर्वोत्तर, समूचे झारखंड और छत्तीसगढ़ के साथ-साथ पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, गुजरात सहित देश के कई राज्यों के आदिवासी इलाकों की जमीन और संपत्तियों को वक्फ संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकेगा।



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