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अप्रैल की शुरुआत होते ही देशभर में मौसमी बीमारियों का जोखिम काफी बढ़ गया है। फ्लू संक्रमण के कारण इन दिनों बड़ी संख्या में लोग सर्दी-जुकाम और बुखार की दिक्कत के साथ अस्पताल पहुंच रहे हैं। इसके अलावा राजधानी दिल्ली-एनसीआर के अस्पतालों में इन दिनों लिवर संक्रमण वाले मरीजों के मामले भी बढ़ रहे हैं। 

इस महीने की शुरुआत में अमर उजाला में प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया गया था कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में हेपेटाइटिस बी और सी के मामले तेजी से बढ़े हैं। तीन महीने में अकेले बुलंदशहर में हेपेटाइटिस बी और सी के 288 मरीज रिपोर्ट किए गए हैं। अब नोएडा के अस्पतालों में भी हेपेटाइटिस के रोगियों के आने का खबर है। चाइल्ड पीजीआई नोएडा से प्राप्त जानकारियों के मुताबिक यहां रोजाना 5-6 बच्चे हेपेटाइटिस-ए पॉजिटिव पाए जा रहे हैं।

 

हेपेटाइटिस-ए के अलावा अस्पतालों में लेप्टोप्सायरोसिस संक्रमण के भी बढ़ने की खबर है।

लेप्टोप्सायरोसिस और हेपेटाइटिस-ए के आ रहे मरीज

अस्पताल से प्राप्त खबरों के मुताबिक बुखार और शरीर दर्द की शिकायत के साथ ओपीडी में पहुंच रहे मरीजों की जांच में लेप्टोप्सायरोसिस और हेपेटाइटिस-ए का पता चल रहा है। 

जिला मलेरिया अधिकारी श्रुति कीर्ति वर्मा ने बताया कि बुखार-शरीर दर्द के साथ आ रहे कई मरीजों में डेंगू की आशंका जताई गई हालांकि अभी तक इसके पॉजिटिव मरीज नहीं मिले हैं। लेप्टोप्सायरोसिस के पांच मरीज सामने आए हैं। बच्चों में हेपेटाइटिस-ए का संक्रमण अधिक देखा जा रहा है।

हेपेटाइटिस-ए का संक्रमण

हेपेटाइटिस-ए का संक्रमण दूषित भोजन-पानी या संक्रमित व्यक्ति के मल के संपर्क में आने से फैलता है। हेपेटाइटिस-ए के लक्षणों में थकान, भूख न लगने, मतली-उल्टी, पेट में दर्द, बुखार और पीलिया (त्वचा और आंखों का पीला पड़ना) की दिक्कत हो सकती है। हेपेटाइटिस-ए आमतौर पर हल्के लक्षणों वाला होता है और आसानी से ठीक भी हो जाता है। हालांकि कुछ मामलों में ये गंभीर भी हो सकता है यहां तक कि इससे लिवर फेलियर भी हो सकती है। 

हेपेटाइटिस-ए से बचने के लिए नियमित रूप से हाथ धोना, दूषित भोजन-पानी से बचना और हेपेटाइटिस-ए का टीका लगवाना महत्वपूर्ण है।

लेप्टोप्सायरोसिस क्या है?

हेपेटाइटिस-ए के साथ नोएडा में लेप्टोप्सायरोसिस के मरीज भी देखे जा रहे हैं। लेप्टोस्पायरोसिस एक जूनोटिक बैक्टीरियल रोग है जो लेप्टोस्पाइरा बैक्टीरिया के कारण होता है। संक्रमित पशु के मूत्र या दूषित पानी-मिट्टी के संपर्क में आने से इसका संक्रमण हो सकता है। लेप्टोस्पायरोसिस के कारण हल्की फ्लू जैसी बीमारी से लेकर किडनी या लिवर फेलियर जैसी गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं।

इस बीमारी का जल्दी पता लगना जरूरी है। जल्द से जल्द एंटीबायोटिक दवाएं देकर रोग के गंभीर रूप लेने के खतरे को कम किया जा सकता है।

डेंगू की भी आशंका

खबरों के मुताबिक नोएडा जिला अस्पताल में रोज डेंगू के 50-60 संदिग्ध मरीज पहुंच रहे हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक अस्पतालों में डेंगू संदिग्ध मरीज बढ़ने लगे हैं। बुखार से परेशान लोगों को डेंगू संदिग्ध मानकर जांच कराई जा रही है। हालांकि इस सीजन में अब तक डेंगू का कोई मरीज नहीं मिला है। रोजाना 50-60 मरीजों की और मलेरिया की जांच की जा रही है। रिपोर्ट न आने तक इन सभी को डेंगू संदिग्ध मानकर इलाज किया जा रहा है। 

आमतौर पर बरसात के शुरुआती महीनों में डेंगू-मलेरिया जैसे मच्छरजनित रोगों के मामले बढ़ने लगते हैं, पर ये बीमारी किसी भी समय में हो सकती है। यहां पढ़िए पूरी खबर

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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है। 

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।



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