वक्फ संशोधन विधेयक पर राज्यसभा में भी आधी रात कार्यवाही चली। इस दौरान राज्यसभा में विधेयक पर 12 घंटे से अधिक लंबी बहस का जवाब देते हुए, रिजिजू ने कहा कि संयुक्त संसदीय समिति द्वारा दिए गए कई सुझावों को संशोधित विधेयक में शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि जब वक्फ संशोधन विधेयक का मसौदा पहली बार तैयार किया गया था और अब हम जो विधेयक पारित कर रहे हैं, उसमें बहुत सारे बदलाव हैं। अगर हमने किसी के सुझाव को स्वीकार नहीं किया होता तो यह विधेयक पूरी तरह से अलग होता। इस दौरान उन्होंने विपक्ष पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल वक्फ संशोधन विधेयक पर लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि इससे मुस्लिम समुदाय के करोड़ों लोगों को फायदा होगा।
किरेन रिजिजू ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार किसी को नहीं डरा रही है। आप डर पैदा करने और उन्हें मुख्यधारा से दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। रिजिजू ने कहा कि भविष्य में मुसलमानों को गुमराह न करें। इससे (विधेयक) करोड़ों मुसलमानों को फायदा होगा।
रिजिजू ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि एक बार जब किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया जाता है, तो उसकी स्थिति में बदलाव नहीं किया जा सकता है और ऐसा उचित प्रक्रिया का पालन करके किया जाना चाहिए। रिजिजू ने कहा कि सरकार द्वारा वक्फ संपत्ति में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाता है।
किरेन रिजिजू ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि वक्फ बोर्ड एक वैधानिक निकाय है और वैधानिक निकाय में केवल मुसलमानों को ही क्यों शामिल किया जाना चाहिए? अगर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच कोई विवाद है, तो उस विवाद को कैसे सुलझाया जाएगा? वक्फ बोर्ड में गैर-मुसलमानों के साथ भी विवाद हो सकते हैं। ऐसे में वैधानिक निकाय धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए और सभी धर्मों के लोगों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि धार्मिक दान से संबंधित वक्फ बोर्ड के काम में किसी भी गैर-इस्लामिक सदस्य को जगह नहीं मिलेगी।
किरेन रिजिजू ने कहा कि हमने इस विधेयक में अपील का अधिकार शामिल किया है। अगर आपको न्यायाधिकरण में अपना अधिकार नहीं मिलता है, तो आप इस अपील के अधिकार के तहत अदालत में याचिका दायर कर सकते हैं। रिजिजू ने कहा कि वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 का नाम बदलकर उम्मीद (एकीकृत वक्फ प्रबंधन सशक्तीकरण दक्षता और विकास) विधेयक रखा जाएगा।
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इस दौरान रिजिजू ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार पर वोट बैंक की राजनीति का आरोप लगया। उन्होंने कहा कि अपने इसी दौहरे आचरण के चलते ही यूपीए सरकार ने 2014 में लोकसभा चुनाव की पूर्व संध्या पर 123 प्रमुख संपत्तियों को गैर-अधिसूचित कर दिल्ली वक्फ बोर्ड को सौंप दिया था। ये संपत्तियां आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय की थीं।
गौरतलब है कि सरकार ने संयुक्त संसदीय समिति की सिफारिशों को शामिल करने के बाद संशोधित विधेयक को पेश किया था। जिसे बीती रात लोकसभा में पारित कर दिया गया था। यह विधेयक 1995 के वक्फ अधिनियम में संशोधन करने और भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और प्रबंधन में सुधार करने का प्रयास करता है। इस विधेयक का उद्देश्य पिछले अधिनियम की कमियों को दूर करना और वक्फ बोर्डों की दक्षता को बढ़ाना, पंजीकरण प्रक्रिया में सुधार करना और वक्फ रिकॉर्ड के प्रबंधन में प्रौद्योगिकी की भूमिका को बढ़ाना है।
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