भारत के संसदीय इतिहास में आज एक दुर्लभ मौका आया जब लोकसभा से वक्फ विधेयक पारित होने के बाद रात दो बजे संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने सदन की कार्यवाही जारी रखने की अपील की। इसके बाद गृह मंत्री अमित शाह ने प्रस्ताव रखा। शाह ने कहा कि इसी साल फरवरी में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की तरफ से पेश वैधानिक संकल्प पर चर्चा की जाए। स्पीकर ओम बिरला ने चर्चा की शुरुआत कराई। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने चर्चा की शुरुआत की। पूरा मामला मणिपुर से जुड़ा है, जहां लंबे समय तक सांप्रदायिक हिंसा के कारण अशांति रही। बता दें कि शाह ने जिस वैधानिक संकल्प का जिक्र कर उसका अनुमोदन किया है, उसे राष्ट्रपति ने 13 फरवरी को जारी किया था। शाह की तरफ से पेश प्रस्ताव का मकसद मणिपुर में राष्ट्रपति शासन के मुद्दे पर बात कर संसद से इसा अनुमोदन करना है। देश के कानून के मुताबिक किसी राज्य में छह माह के लिए राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। इसे संसद में स्वीकृत कराना जरुरी होता है।
कांग्रेस सांसद थरूर ने 10 मिनट के भाषण में सरकार को आईना दिखाया
थरूर ने कहा कि मणिपुर की खौफनाक तस्वीरें राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने के 21 महीने पहले आई थीं। उन्होंने कहा कि 70 हजार से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। 250 से अधिक लोगों की मौत हुई है। लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। इससे साफ है कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के जिम्मेदार लोग अपनी ड्यूटी पूरी करने में अक्षम रहे। उन्होंने कहा कि मणिपुर की सरकार को अल्पमत में आने के कारण भंग करना पड़ा। गठबंधन सहयोगी के समर्थन वापस लेने के बाद मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा। बकौल थरूर, ‘लगभग दो साल से मणिपुर में हिंसा हो रही है। 11वीं बार राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ रहा है। 77 साल के इतिहास में सबसे अधिक बार इसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा है, जिस पर चिंता करने की जरूरत है।’ उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने राज्य के लोगों की पीड़ा का ध्यान रखते हुए अभी तक राज्य का दौरा नहीं किया है, जो काफी चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने हालात का जायजा लेने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल भेजा। सरकार मणिपुर के लोगों का भरोसा खो चुकी है। राज्य चौतरफा समस्याओं से जूझ रहा है, ऐसे में राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला ऐसा अवसर है, जब सांविधानिक मूल्यों में लोगों का भरोसा कायम रखने के प्रयास किए जाएं। अब केंद्रीय सशस्त्र बलों की 288 कंपनियां, इंडियन आर्मी और असम राइफल्स की 150 बटालियन मणिपुर में सुरक्षा का जिम्मा संभाल रही है। इसमें कोई शुबह नहीं है कि घुसबैठ, हिंसा और तनावपूर्ण हालात से निपटने में सुरक्षाबल पूरी तरह सक्षम हैं, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में जब सुरक्षाबलों को तैनात किया जाता है, तो हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि विकासकार्यों पर खर्च होने वाले फंड सुरक्षाकर्मियों की तैनाती पर होते हैं। उन्होंने कहा कि वे अपनी पार्टी की तरफ से इस प्रस्ताव का समर्थन करते हैं, लेकिन सरकार को शांति बहाली करने के और सक्रिय प्रयास करने चाहिए, जिससे वहां के लोगों का भरोसा जीता जा सके।
सपा सांसद ने भी सरकार को घेरा
थरूर के बाद उत्तर प्रदेश से निर्वाचित सांसद लालजी वर्मा ने सरकार को कटघरे में कड़ा किया। यूपी के अंबेडकर नगर से निर्वाचित सपा सांसद लालजी वर्मा ने कहा कि मणिपुर में लंबे समय तक मानवता कराहती रही, लेकिन मानवता की बात करने वाली सरकार इस केंद्र सरकार ने हालात की संवेदनशीलता और विपक्ष की मांगों पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द मणिपुर में हालात को सामान्य बनाकर राज्य में एक लोकतांत्रिक सरकार को बहाल किया जाना चाहिए।
तृणमूल की महिला सांसद का सरकार पर हमला
थरूर के बाद पश्चिम बंगाल के जादवपुर से निर्वाचित तृणमूल कांग्रेस सांसद सयानी घोष ने चर्चा में भाग लिया। उन्होंने शायराना अंदाज में सरकार को घेरा।
जिंदगी यूं ही गुजारी जा रही है, जैसे कोई जंग हारी जा रही है।
जिस जगह पहले के जख्मों के निशां हैं, फिर वहीं पर चोट मारी जा रही है।
घोष ने कहा कि मणिपुर के हालात में सुधार के लिए प्रयास करें। पहले अपने देश के लोगों को मित्र बनाएं, वातावरण में संतुलन लाएं। इसके बाद ही विश्वबंधु कहे जाने का प्रयास करें।
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