ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद 25, 26 का उल्लंघन है। ओवैसी ने आगे कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक मुसलमानों के साथ अन्याय है। विधेयक पर चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि इसका मकसद मुसलमानों को जलील करना है। मैं गांधी की तरह इस विधेयक को फाड़ता हूं।
ओवैसी ने कहा, यह विधेयक भारत के मुसलमानों को ईमान और इबादत पर हमला है। (पीएम) नरेंद्र मोदी की हुकूमत ने इस देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ जंग का एलान कर दिया है। यह जंग न सिर्फ मेरे शरीर पर है, बल्कि मेरी आजादी, मेरी सामाजिक और आर्थिक स्थिति, मेरी शहरीयत पर है। मेरे मदरसों-मस्जिदों और दरगाहों को निशाना बनाया जा रहा है। यह सरकार सच्चाई नहीं बयां कर रही है। इस विधेयक से मुसलमानों की गरीबी समाप्त होगी, यह सरासर झूठ है।
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हैदराबाद सांसद ने आगे कहा, अगर आप संविधान के अनुच्छेद 14 को देखेंगे तो उसमें कानून के समक्ष समानता की बात लिखी गई है। उन्होंने आगे कहा, वक्फ एक धार्मिक संस्था है। केंद्र सरकार यहां गलत जानकारी दे रही है। वक्फ विधेयक भारत के संविधान पर हमला है। आप मुसलमानों वक्फ की संपत्ति छीन रहे हैं। ये जो कानून बन रहा है उसका स्रोत अनुच्छेद 26 है, जब हिंदू, बौद्ध, जैन क इस बात की आजादी दी गई है तो फिर आप मुसलमानों से यह कैसे छीन सकते हैं।
उन्होंने यह भी कहा, देश के प्राचीन मंदिरों को हिफाजत होगी, लेकिन प्राचीन मस्जिदों की नहीं होगी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 2013 का कानून नहीं बनता तो हम इसे लेकर नहीं आते। मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि क्या उस वक्त राजनाथ सिंह, लालकृष्ण आडवाणी जैसे बड़े नेता यहां बैठे थे। आपने उश कानून को पारित करा दिया, तो उस समय वो गलत थे या आप गलत थे, ये बता दीजिए। भाजपा इस देश में मंदिर-मस्जिद के नाम पर फसाद कराना चाहती है।
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